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Showing posts from October 14, 2012

चाय के कप से देष को बाहर निकालो

देष को जगाने के पहले स्वयं जागें पर कैसे? ये मुई नींद आंखों पे ऐसे चढ़ी बैठी है कि 65 साल बाद भी पलकें खुलने का नाम भी नही लेतीं। हां 15 अगस्त को एक बार अंगड़ाई ज़रुर ले लेते हैं, फिर 26 जनवरी भी तो आती है, पर वो तो मेले जैसा होता है। चलो काम बन्द छुट्टी का माहौल और सब परेड देखने जाते हैं, या फिर घर पे ही चाय का मज़ा लेंगे। कांग्रेस ने महंगाई बढ़ा दी, भाजपा तो किसी लायक नही रही, बसपा सरकार ने प्रदेष को भिखारी कर दिया, सपा ने माफियाराज पर लगाम नही कसी, पेट्रोल महंगा हो गया, सलमान खान कब शादी करेगा?, करीना को सैफ से ब्याह नही रचाना चाहिए, होम लोन और महंगे हो गए, सब्जि़यां महंगी हो गईं और... वगैरह...वगैरह। कितनी चाय पीयोगे बन्धुओं? चाय की चुस्कियों में ही देष चलाओगे और देष का भविष्य भी तय कर दोगे। इस वर्ष भी वही रवैया, अभी मई 2012 में दुनिया खत्म होने वाली थी तो टूटी और दरार पड़ी दीवारों पर तनिक वाॅल पुट्टी चिपका कर रंग-रोगन करवा लिया कि लोग आवेंगे चाय चर्चा पर तो क्या कहेंगे फिर विधान सभा चुनाव आ गए, मायावती की सरकार क्यूं गिरी, अखिलेष की सरकार कितने दिन चलेगी भला, राजेष खन्ना का निधन

चाहिए एक और उधम सिंह !

Udham Singh[middle] after shooting Govn.Dwayer सन् 1940 लंदन के ओल्ड वेली कोर्ट के बन्द कमरे की अदालत में एक मुकदमा चल रहा था। ‘‘मुझे इस बात की कोई परवाह नही है कि मुझे दस-बीस साल कैद या फांसी की सजा मिलती है। मैंने तो केवल अपना कर्तव्य पूरा किया है।’’ फिर उसने चिल्लाकर कहा... ‘‘मैं ब्रिटिष साम्राज्यवाद को मुर्दाबाद कहता हूं। यदि तुम्हारे अंदर इंसानियत बची है तो तुम सबको डूब मरना चाहिये। तुम जंगली, खून पीने वाले खुद को सभ्यता का ठेकेदार कहते हो...? लेकिन तुम लोग हरामजादे और दोगले हो।’’ अदालत में जज की कुर्सी पर बैठा एक तरफा फैसला सुनाने को तैयार जज एटकिन्सन ने जवाब दिया--- ‘‘मुझे तुम्हारी सियासी बकवास नही सुनना। इस मुकदमे के बारे में अगर तुम्हे कुछ कहना हो तो वही कहो। जो कुछ तुम बोल रहे हो वो कहीं प्रकाषित नही होने वाला।’’ यह सुनकर वह दहाड़ा - ‘‘मुझे मृत्युदण्ड की परवाह नही है, ना ही मुझे इसकी चिन्ता है। कटघरे की मुंडेर पर मुक्का मारते हुए वो गरजा - ‘‘मैं मौत से नही डरता मुझे अपने मरने पर गर्व है, क्योंकि मुझे अपना देष आजाद कराना है। जब मैं नही रहूंगा तब मेरे हजारों देषवासी मे