देष को जगाने के पहले स्वयं जागें पर कैसे? ये मुई नींद आंखों पे ऐसे चढ़ी बैठी है कि 65 साल बाद भी पलकें खुलने का नाम भी नही लेतीं। हां 15 अगस्त को एक बार अंगड़ाई ज़रुर ले लेते हैं, फिर 26 जनवरी भी तो आती है, पर वो तो मेले जैसा होता है। चलो काम बन्द छुट्टी का माहौल और सब परेड देखने जाते हैं, या फिर घर पे ही चाय का मज़ा लेंगे। कांग्रेस ने महंगाई बढ़ा दी, भाजपा तो किसी लायक नही रही, बसपा सरकार ने प्रदेष को भिखारी कर दिया, सपा ने माफियाराज पर लगाम नही कसी, पेट्रोल महंगा हो गया, सलमान खान कब शादी करेगा?, करीना को सैफ से ब्याह नही रचाना चाहिए, होम लोन और महंगे हो गए, सब्जि़यां महंगी हो गईं और... वगैरह...वगैरह। कितनी चाय पीयोगे बन्धुओं? चाय की चुस्कियों में ही देष चलाओगे और देष का भविष्य भी तय कर दोगे। इस वर्ष भी वही रवैया, अभी मई 2012 में दुनिया खत्म होने वाली थी तो टूटी और दरार पड़ी दीवारों पर तनिक वाॅल पुट्टी चिपका कर रंग-रोगन करवा लिया कि लोग आवेंगे चाय चर्चा पर तो क्या कहेंगे फिर विधान सभा चुनाव आ गए, मायावती की सरकार क्यूं गिरी, अखिलेष की सरकार कितने दिन चलेगी भला, राजेष खन्ना का निधन
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee