पाकिस्तान को दी गई सारी रियायतें और सुविधाएं अब खत्म की जा रही हैं, ऐसे में पाकिस्तान का छटपटाना स्वाभाविक है। भारत से पाकिस्तान के हाईकमीशन को वापस बुलवाना और उसे सामान्य चर्चा का नाम देकर खामोशी का माहौल बनाए रखना आने वाले तूफान के पहले की शान्ति जैसा महसूस हो रहा है। ये और बात कि ये तूफान अब आखिरी बार उठेगा और इस बार ये भारत से पाकिस्तान की ओर दौड़ेगा, शत प्रतिशत कामना है कि इन भीषण हवाओं की चपेट में आकर पाकिस्तान नाम की ये बीमारी भी कहीं लोप हो जाए। यूं भी भारत की बढ़ती जनसंख्या को अब और भी बड़े भारत की आवश्यक्ता है, तो क्यूं न अपनी पुरानी ज़मीन पर ही बसेरा बसाया जाए। आश्चर्य तो इस बात का है कि भिखारियों सा कटोरा लेकर पूरे विश्व से भीख मांगने वाला देश न जाने कैसे और कहां से इतने महंगे विस्फोटकों की व्यवस्था कर लेता है? पाकिस्तान पर सीधा हमला करना या न करना बेशक हमारी सेना के निर्णय क्षेत्र में आता है इसमें हमारे आपके चिल्लाने या सलाह देने से बात नही बनने वाली। दूसरी तरफ कुछ बातें उनकी भी हो जाए वास्तव में जिनकी शय और मदद से पुलवामा जैसी भयानक घटनाएं आतंकियों के लिए बहुत आसान हो
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee