एक बेहद रोमांचक और रहस्य भरा शब्द है इत्तेफाक, संयोग, दैवयोग, सन्निपतन, सम्पात अथवा अंग्रेज़ी में कोइंसीडेंस। वैसे तो आप सभी ज्ञानी गुणीजन हैं किन्तु फिर भी एक बात का आप सभी को पुर्नस्मरण कराना आवश्यक है कि इतिहास स्वयं को दोहराता है, फिर चाहे वह युद्ध हो, प्राकृतिक - अप्राकृतिक आपदा हो अथवा महामारी... ऐसा नही है कि करोना जैसी आपदा इस धरती पर पहली बार आई हो या मानवजाति ने आज से पहले कभी किसी प्रकार की वैश्विक महामारी का सामना न किया हो। फर्क़ केवल पीढ़ियों की सोच का है, सुविधाओं एवं वातावरण का है, हम तब भी लड़े थे जब पिछली बार ईश्वर का कोप हम पर बरसा और हम इतने ढीठ हैं कि फिर से लड़ कर जी रहे हैं और साथ ही ईश्वर को भी प्रसन्न करने के अनगिनत उपाय किए जा रहे हैं, किन्तु इस प्रकार के लेन देन से क्या सरल सहज ईश्वर मान जाएंगे??? हमें तो सौदा करने की लत है, कुछ ले दे के काम बन जाता तो... करोना तो ले दे के भी नहीं मानता, कम्यूनिस्ट रोग है सबको बराबरी की दृष्टि से देखता है। अपने मुहल्ले के बाबू नाई को जो रोग हुआ है वही देश के गृहमंत्री को भी हो गया। बहरहाल! आईए अब बात करते हैं संयोग की, संयोग यह क
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee