स्कूलों में गीता अध्ययन आरंभ किए जाने पर विवाद जारी है, इसके असंख्य कारणों में से प्रथम पूर्वाग्रह से ग्रस्त कायर लोगों का दल जिन्हें लगता है कि गीता किसी विशेष वर्ग अथवा जाति हेतु है, इसके अलावा कुछ वो लोग जो हिन्दुत्व और हिन्दुवाद के ढोंग करते हैं परन्तु गीता को कभी हाथों में उठाने का भी कष्ट नही किया होगा, पढ़ना तो दूर की बात है। यदि वास्तव में गीता को अध्ययन पाठ्यक्रम में लाया गया तो यह बच्चों को स्कूली पढ़ाई से कहीं अधिक सशक्त ज्ञान प्रदान कर ेगा, भले ही इसे किसी भी भाषा में अनुवाद कर पढ़ाया जाए। जीवन जीने के सिद्धान्तों का परिचय है गीता, ईश्वर को समझ पाने का सरल उपाय है गीता, जिजीविषा ही ईश्वर है अर्थात जीवन को जीने की इच्छाशक्ति ही ईश्वर है, काम क्रोध पर नियंत्रण का एकमात्र ज़रिया है गीता, मनुष्य को यह समझाने कि वह स्वयं ही अपना मित्र है और स्वयं ही अपना शत्रु भी, यह भी कि किस प्रकार वह मृत्यूलोक में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी ईश्वर को प्राप्त कर सकता है, हम जीवन भर केवल सुख खोजने के लिए गीता पढ़ते हैं और यह भूल जाते है कि गीता को कहने वाले महागुरु महाराज कृष्ण को जीवन
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee