सिर्फ महसूस होता है कि ज़िन्दगी आगे बढ़ रही है, लेकिन जहां से दौड़ लगाई थी वहां की ज़मीन भले ही फिसल रही हो पर हम!, जहां थे वहीं खड़े हैं। सिर्फ आभास होता है कि हमने बदलाव देखे, ऐसे बदलाव तो बंद पिंजरे का जीव भी देख रहा होता है, जिसकी नीयति कैद में रहना मात्र से अधिक नही होती, इस शरीर में कै़द आत्मा की दशा भी उस जीव से कुछ अधिक भली नही। कुछ चीज़ों को होने से मैं कभी नही रोक सकी, जैसे बीते समय को बार बार याद दिलाने वाले लोगों का लगातार जीवन में आते जाते रहना, मैं चाहूं न चाहूं वे बीते समय को को मेरे जेहन से खोद निकालने का काम करते ही रहते हैं। अपनों के ऐसा करने से आत्मा की पीड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है, किन्तु कुछ चेहरे जिनसे कभी आत्मीयता नही रही उनके न रहने पर आंखें क्यूं छलछला जाती हैं, ये समझ ही नही आ रहा... तबले की थाप से ताल निकलते सुना था, उनकी तबले की थाप से सुर भी बहेंगे ये आने वाले समय ने बता दिया। व्यवसायिक कार्यक्रम करना बंद करने के तकरीबन 3 साल बाद दुर्गा पूजा का कार्यक्रम देखने आर.डी.एस.ओ जाना हुआ। महानवमी के अवसर पर गज़ल संध्या का आयोजन किया गया था, एकदम ताज़ादम नई आवाज़ अ
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee