बाबर से लेकर औरंगज़ेब तक की देश की गुलामी जिसे इतिहास में छुपा दिया गया, अंग्रेज़ों द्वारा किए गए कार्यों को देशहित से जोड़कर पढ़ाना और हर वास्तविक जानकारी को घुमा फिरा कर परोसने के लिए इन इतिहासकारों को क्या प्रस्ताव दिया गया होगा इस बारे में कुछ कह पाना कठिन है क्यूंकि देश के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने की सज़ा देशद्रोह से कम नही हो सकती और देशद्रोह की एकमात्र सज़ा मृत्युदण्ड ही होना चाहिए, किन्तु ये इतिहासकार अपने अपने हिस्से की शान और आराम की ज़िन्दगी जी कर कहीं मिट्टी में दफ्न हो गए तो कहीं जलाकर इनकी अस्थियों का विसर्जन कर दिया गया, और मरणोंपरान्त इनके रचे गए झूठ अमर हो गए कि हमारे देश की आने वाली पीढ़ी विदेशी आक्रमणकारियों को ही अपना उद्धारक और देश का भूत, भविष्य और वर्तमान मान ले। क्या आपको या आपके बच्चों को पता है कि लालकिले के ठीक सामने शिवालय का निर्माण करवा कर बाज़ीराव पेशवा ने हिन्दुओं के गौरवशाली इतिकास को और भी महान बना दिया। औरंगजे़ब में साहस नही था कि वो किले से बाहर आकर बाजीराव को रोक सकता या चुनौती दे सकता, किन्तु आम जनता को औरंगज़ेब की औकात पता चल चुकी थी। देशभक्ती और बलिदा
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee