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Showing posts from July 19, 2020

हंसी खुशी भूल चुके...इसमें राजनीति का क्या दोष?

मनुष्य हंसना भूल गया है, हांलाकि इसका एहसास मुझे अतिरिक्त बुद्धि के श्राप से ग्रस्त एक व्यक्ति ने करवाया फिर भी उसको कोसना नही बनता। वास्तव में मुझे इस बात का प्रमाण मिला कि व्यक्ति खुश रहना ही नही चाहता, प्रेम, सद्भाव और आत्मीयता की भी उसे कोई आवश्यक्ता नही क्यूंकि वह जानता ही नही कि वह चाहता क्या है? जिस ओर उसे अपनी मानसिकता का एक प्रतिशत भी प्रभाव दिखता है वह उसी ओर लुढक जाता है, मतलब मर नही जाता बस थाली के बैंगन सा लुढ़क जाता  है। हमारी समस्या यह है कि हम जानते भी नही और निर्णय भी नही कर सकते कि सही क्या है और ग़लत क्या? हम बस इतना जानते हैं कि जो हम मानते हैं बात वही है और अपनी सोच, दृष्टि एवं क्षमता के अनुसार प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाने का वरदान तो ईश्वर ने बिन मांगे ही हमें दिया है। बिल्कुल किसी कैद में पल रहे जीव की तरह जो बंधन को ही जीवन मान लेता है। कोई बुरा होता ही नही केवल उसके कर्म बुरे होते हैं और लोग भी एक के बाद एक पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस को ही कोसते आए हैं, असल में बुराई कांग्रेस या कांग्रेसियों में नही उनके कर्मांे में रही। ऐसे ही सपा, बसपा, भाजपा फिर कम

ये लेख कदापि राजनीतिक नही है

ऐसा नही है कि मुझे शिकायतें नही, लेकिन शिकायत करने से पहले अपने कर्मों का हिसाब करना भी तो ज़रूरी है। कहां तक गरूण पुराण के पढ़े जाने की प्रतीक्षा करते रहिएगा, कुछ काम स्वयं भी तो कीजिए...फौरन पता लग जाता है कि आपके साथ हो रहा ग़लत, असल में स्वयं आपकी ही देन है। अब इसका संबंद्ध सत्ताधारी या विपक्षियों से जोड़कर मेरे लेख को राजनीतिक बनाने का कष्ट मत करिएगा। कहने का तात्पर्य एकदम सरल है, उदाहरण के लिए मान लीजिए कोरोना के समय जगह-जगह जाकर खरीददारी कीजिएग ा और बिना सुरक्षा के मटरगश्ती करिएगा तो मृत्यु द्वार आपके और आपके अपनों के लिए बिना प्रयास ही खुल जाऐंगे और इसके लिए न मोदी, न राहुल गांधी और न ही केजरीवाल कोई भी ज़िम्मेदार नही होगा। आप न तो संबित पात्रा और न ही सुरजेवाल किसी से भी व्यथा नही कह सकेंगे, योगी जी भी घास नही डालेंगे और अखिलेश भी आपको या आपके रोते सिर को कंधा देने नही आएंगे। फिर आपस में एक दूसरे को चिकोटी काट कर हम आप असल में अपने ही शरीर पर लाल काले दाग काट रहे हैं। मज़ा तो तब आएगा जब चिकोटी हम आपकी काटें और हम पर केस सुब्रह्यणयम् स्वामी कर दें। जीभ गरमाने भर का प्रपंच बहुत