हमें अच्छा लगता है जब दूसरों के मामले को लेकर हमारे पेट में दर्द होता है। आखि़र हम मीडिया वाले जो हैं। विवादित जोड़े और मीडिया वालों में काफी समानता दिखाई देती है। कारण दूसरे निजी जीवन में क्या कर रहे हैं इससे हमारा पेट दुखता है और हम चाहते हैं जब हम कुछ करें तो सबका पेट दुखे। जनता भी कम समझदार नही है, किसी को ज़ुकाम है तो पहले मीडिया के पास जाता है फिर डाक्टर के पास, किसी का अपने पति से झगड़ा हो गया तो पहले मीडिया के पास फिर वकी़ल के पास, घर में चोरी हो जाए तो पहले मीडिया के पास फिर पुलिस के पास और नई खोज के अनुसार अब मीडिया सास-बहू के झगड़े भी निबटाएगी। पति-पत्नी के बीच षास्त्रों के अनुसार किसी को भी मध्यस्थता करने का अधिकार नही है,उनकी संतान तक इसकी अधिकारी नही होती परन्तु अब नवीन षास्त्रों के अनुसार मीडिया के हस्तक्षेप के बिना किसी भी घर का झगड़ा नही निबट सकता। भाई-बहन में भी निबटारा अब मीडिया ही करवाएगी। भले ही वे 5 वर्ष के हों या 50 वर्ष के, अपहरण का मामला हुआ तो पहले मीडिया फिर पुलिस। मैं इसके पक्ष में तो हूं कि हमारे देष की संपूर्ण प्रषासनिक एवं कानूनी व्यवस्था में प
ऋतु कृष्णा चटर्जी/ Ritu Krishna Chatterjee