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Showing posts from July 5, 2020

आज किसी के पक्ष विपक्ष में नही केवल आपके हित की बात होगी!

जिन नेताओं, समाज सेवकों कलाकारों और विभूतियों के नाम से हमें नकली ट्वीट और बयान सोशल पटल पर देखने को मिलते हैं, अधिकतर हम उनके वास्तविक होने पर ध्यान ही नही देते। क्या ये एक प्रकार का मानसिक रोग नही है? तो क्या हम रोगी हैं? करोना न सही, सोशल मीडिया ही सही, उद्देश्य तो अपंग बनाने से है, हाथ पैर के साथ साथ मस्तिष्क को भी। क्या आपको कभी कभी यह महसूस नही होता कि आप बिना सोशल मीडिया पर दो चार बेसिर पैर के कमेंट किए अपना दिन बिता सकते हैं? लेकिन नही इन दिनों आप ऐसा सोच भी नही सकते। हम सोशल मीडिया पर ही मौलाना साद को खोजने लगते हैं, हम सोशल मीडिया पर ही विकास दूबे के ब्राहमण होने या अपराधी होने के विषय पर निरर्थक विवाद में उलझे रहते हैं। लाॅक डाउन सही था या ग़लत, और लाॅक डाउन को मानने या न मानने वाले दोनों ही घर की चाहर दीवारी के भीतर दुबक कर ही माबाईल पर ऐसी टिप्पणियां कर रहे थे। कभी कभी सोशल मीडिया को देख कर ऐसा लगने लगता है कि सारा संर्घष और उसका निर्णय आम जनता ही करती है और बड़े से बड़ा देश सोशल मीडिया के हिसाब से ही अपने कदम उठा रहा हो। क्या वास्तविकता वही है जो हम सोच रहे हैं? या हमें

गुरू का होना जीवन को मायने देता है

गुरू का होना जीवन को मायने देता है, सोच और विचार को नई दिशा देता है साथ ही उस ज्ञान का भी पूर्नस्मरण कराता है, जो हम जन्म के बाद घर के बड़े बुजु़र्गों और माता पिता से प्राप्त तो करते है किन्तु वह कहीं हमारे सुप्त मस्तिष्क में जाकर बैठ जाता है और व्यवहारिक जीवन में हम उसका प्रयोग नही कर पाते। जब गुरू हमें पुनः उस ज्ञान से परिचित करवाते हैं, उस समय अकसर हमारे मन में यह बात आती है कि यह तो हम पहले से ही जानते थे फिर हमारे मन में पहले यह विचार क्यूं नही आया? यहीं आकर हमें आभास होता है कि गुरू न होते तो क्या होता? जानते तो हम सबकुछ हैं कभी अपने संस्कारों कभी पूर्वजन्म के संस्कारों तो कभी आस पास के वातावरण में भी ऐसा ज्ञान हमारी दृष्टि से होकर गुज़रता है किन्तु हम संभवतः इन्हें दूसरों के लिए छोड़ देते हैं और स्वयं को पूर्ण समझने के अहं में यह भूल जाते हैं कि मनुष्य मात्र के लिए यह सारी जानकारी, गुण, ज्ञान और विचार आदि कितने महत्वपूर्ण हैं। जो अपेक्षा सामने वाले से हम रखते हैं वही अपेक्षाएं अथवा आशा सामने वाला भी हमसे रखता है। आपको ईश्वर नही परखता, आपको आपके सहजन, मित्र, सहयोगी और परिवार ही