Skip to main content

Posts

Showing posts from July 6, 2014

...तो शायद एक बुलेट ट्रेन ही मिल जाए

एक बुलेट ट्रेन का सपना ही मिल जाए तो इसमें क्या बुराई है. इसके पहले भी तो १९८७ में एक बुलेट ट्रेन मिल रही थी ये और बात है की १९८७ में चली ट्रेन २०१४ तक भी भारत की रेल लाइन तक नहीं पहुँच पाई. जब बची खुची कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल साहब से इसकी वजह पूछने की कोशिश की गयी तो जवाब मिला की देश की आर्थिक स्थिति की चादर इतनी छोटी है कि उस समय सरकार की पैर फैलाने की ... हिम्मत नही पड़ी। लेकिन चादर तो अभी भी उतनी ही बड़ी है बस सरकार ने उम्मीद बड़ी कर दी है कि आज नही तो कल हम विकासशील से विकसित होने वाले हैं। कहीं ऐसा तो नही कि बीते वर्षों में चादर को बड़ा होने ही नही दिया गया, और क्यूं नही बोफोर्स, 2जी, कोलगेट, जैसे हाईप्रोफाईल घोटालों ने देश की ऐसी कमर तोड़ी कि 21वीं सदी की देहलीज़ पे खड़ा मेरा देश एक बार फिर 19वीं सदी में अपनी चादर को नापने लगा। ‘‘ग़रीब को ग़रीब ही बनाए रखो तभी राज कायम रहेगा’’ की नीति पर सालों साल शासन कर रही कांग्रेस को इससे सरल मार्ग नही दिख रहा था बल्कि और कोई रास्ता था ही नही शायद...67 साल तक सारा देश उनसे उम्मीदें लगाए बैठा रहा और वो केवल राज कायम रखने के रास्ते ढूंढते रहे।