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Showing posts from September 7, 2014

जोधाएं बचेंगी तब न...

अकबर को जोधा नही दोगे ठीक बात है किन्तु अपने लिए भी नही चुनोगे ये कहां का इंसाफ है, उलटा जहां तक संभव होगा जोधा को धरती पर आने ही नही दोगे। भईया! अकबर को जोधा देने न देने की स्थिति तो तब आएगी न जब जोधाएं बचेंगी। लड़कियां बची ही कहां हैं जो थोड़ी बहुत हैं उन्हें बचा सको तो बचा लो, क्यूंकि सामने लड़कों की कोई कमी नही है। यहां राम के लिए सीता, कृष्ण के लिए रुक्मिणी सत्यभामा नही मिल रहीं और वहां अकबर से जोधा को बचाने की बातें हो रही हैं। वहां एक-एक घर में दो-दो दर्जन अकबर मौजूद हैं यहां घरों में एक या दो सूरजमल या सूजा भाईसा तो हैं पर जोधा तो 5 में से एक ही घर में मिलेगी। अब दो पत्नियों वाले भगवान छोड़िए, एक भी पत्नि वाले भगवान नही दिखने वाले तिस पर पत्नी विहीन देवता महात्माओं का जल विसर्जन कर डाला जा रहा है। साईं बाबा के पीछे हाथ पैर धोकर पड़ गए हैं सब क्यूं भाई? ऐसा क्या हो गया? अगर वे भी पत्नी वाले होते तो संभवतः उन्हें हाथ लगाने की हिम्मत न पड़ती। आखिर बीवी के रहते किसकी मजाल जो मियां को नाखून भी मार सके। लेकिन बीवियों के मामले में यह विपरीत है, वहां कोई ज़्यादा देर घूरता हो तो पति कहता