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Showing posts from August 11, 2019

कुछ इस तरह से कांग्रेस की नींव को दोबारा...

एक बार सूख कर खत्म हो चुके पेड़ से गिरे बीज को बोया गया, फिर जैसे ही अंकुर फूटा नया नया माली फल तोड़ने आ गया, फिर कुछ ने कहा कि तुम्हारे परिवार के दूसरे समझदार माली ऐसा कभी नही करते, थोड़ा सा और बढ़ने दो और लोग खा लेंगे, फिर भी जल्दी में अंकुर को ही खोद कर बड़े से गढ्ढे मे ंबो दिया गया। कुछ समय बाद पौधा बड़ा हुआ फिर से नया माली जो थोड़ा कम अक़्ल और कम अनुभवी था आ गया कि इस बार तो फल खाकर ही जाएंगे और फिर से कुछ ने कहा अरे थोड़ा और बढ़ने दो क ुछ औरों को भी मिलता रहेगा लिहाज़ा पौधे को उखाड़ कर खेत मे ंबो दिया गया, रोज़ रोज़ उसमें खाद पानी दिया जाने लगा, और फिर एक दिन अचानक हाट बाज़ार लगने की ख़बर आई तो हड़बड़ी में पौधे पर दवाई और रसायनों का छिड़काव कर उसे जल्दी से बड़ा करने की होड़ लग गई। समय से पहले बड़ा हुआ पौधा और उसके फल वैसे तो किसी काम के न थे पर उन पर तेल पाॅलिश लगा कर और कुछ ब्राण्ड वगैरह की चिपकियां चिपका कर बाज़ार में भेज दिया गया, कसैले अधपके फलों को कुछ मूर्ख पका जान कर खरीद भी ले गए पर ज़्यादातर ग्राहक सयाने निकले थोड़े दागी और गले ही सही पर चमक छोड़ कर देशी फल ही खरीदे। कच्चे फल वक़्त से पह

बंदूक अपने कंधों पर रख कर चलाना सीखिए...दूसरे के नही!

सही कहा मेरे एक फेसबुकिए मित्र ने कि ज़रूरत से ज़्यादा बेवकूफ और ज़रूरत से ज़्यादा समझदार लोगों में एक ही बुराई होती है, दोंनो ही किसी की नही सुनते। इधर खुद पर भी काफी हंसी आई जब लगातार एक मूर्ख को मैं धारा 370 के एक आलेख पर जवाब देती रही, मुझे एहसास हुआ कि मैं भी वही कर रही हूं जो ये मूर्ख कर रही है। उसने ध्यान से मेरे आलेख को पढ़ा ही नही था, उसे अपना सीमित ज्ञान हम सब तक पहुंचाना था और शायद इतना लिखना उसके बस में नही था तो  उसने मुझे ही सीढ़ी बनाने की सोच ली। अचानक से आया किताबी और अधूरा ज्ञान कितना घातक होता है ये देख कर हंसी से ज़्यादा दहशत हुई, ऐसे ही अधूरे ज्ञान के साथ भारत की युवा पीढ़ी का भविष्य कहां जा रहा है??? इनकी भाषा और विरोध ने जाने अंजाने इन्हें देश के विरूद्ध कर दिया है, उम्र और युवावस्था की तेज़ी में भ्रष्ट बुद्धि के कुछ लोग आपको बिना समझे ही शिक्षा देने लगें तो एक बारगी तनिक कष्ट तो होता है फिर इन्हीं लोगों की बुद्धि और समझ पर दया भी आती है। उस बेचारी को जाने देते हैं क्यूंकि वो एक आधी अधूरी जानकारी और अतिरिक्त आत्मविश्वास का शिकार युवा थी, थोड़ा ऊपर उठ कर बात करते ह

आपने कर दिखाया

बियर ग्रिल्स का शो वास्तव में दर्शनीय था, ये और बात कि जनता को काफी बार शो के दौरान ऐसा महसूस हुआ कि चीज़ों, परिस्थितियों और घटनाक्रमों को पूर्वनियोजित तरीके से रचा गया था। वैसे आमतौर पर किसी रिएलिटी शो के बारे में जनता का ध्यान इन पहले से की गई तैयारियों की तरफ नही जाता, परन्तु इस बार काफी खोजबीन और पूछताछ की गई। कुछ लोगों को मज़े का और कुछ को खाली समय बिताने का बेहतरीन मसाला मिल गया, क्या उम्मीद थी आपको कि मोदी एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर कूदते चढ़ते दिखेंगे, 68 की सीमा रेखा पार कर रहे इस बुद्धिजीवी को स्पष्ट ज्ञान है कि देश की जनता वास्तविक से अधिक काल्पनिक नायक पर भरोसा करती है किन्तु जिसे भी जनता नायक मान ले उसके प्रत्येक क्रियाकलाप को काल्पनिक रूप देकर देखती है तो अकसर वो भी दिखने लगता है जो हुआ ही नही या किया ही नही गया। मोदी को पता है कि जनता क्या चाहती है और ऐसा इस कारण से नही कि वे कुशल राजनीतिज्ञ हैं वरन इस कारण से है कि वे जन साधारण के मस्तिष्क को बड़ी कुशलता से पढ़ पाते हैं और जनता की नब्ज़ परख चुके हैं। चुनाव हों या राष्ट्रहित में लिया गया कोई बड़ा फैसला, कुल मिलाकर मोदी का वार एक
बियर ग्रिल्स का शो वास्तव में दर्शनीय था, ये और बात कि जनता को काफी बार शो के दौरान ऐसा महसूस हुआ कि चीज़ों, परिस्थितियों और घटनाक्रमों को पूर्वनियोजित तरीके से रचा गया था। वैसे आमतौर पर किसी रिएलिटी शो के बारे में जनता का ध्यान इन पहले से की गई तैयारियों की तरफ नही जाता, परन्तु इस बार काफी खोजबीन और पूछताछ की गई। कुछ लोगों को मज़े का और कुछ को खाली समय बिताने का बेहतरीन मसाला मिल गया, क्या उम्मीद थी आपको कि मोदी एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर कूदते चढ़ते दिखेंगे, 68 की सीमा रेखा पार कर रहे इस बुद्धिजीवी को स्पष्ट ज्ञान है कि देश की जनता वास्तविक से अधिक काल्पनिक नायक पर भरोसा करती है किन्तु जिसे भी जनता नायक मान ले उसके प्रत्येक क्रियाकलाप को काल्पनिक रूप देकर देखती है तो अकसर वो भी दिखने लगता है जो हुआ ही नही या किया ही नही गया। मोदी को पता है कि जनता क्या चाहती है और ऐसा इस कारण से नही कि वे कुशल राजनीतिज्ञ हैं वरन इस कारण से है कि वे जन साधारण के मस्तिष्क को बड़ी कुशलता से पढ़ पाते हैं और जनता की नब्ज़ परख चुके हैं। चुनाव हों या राष्ट्रहित में लिया गया कोई बड़ा फैसला, कुल मिलाकर मोदी का वार एक