बियर ग्रिल्स का शो वास्तव में दर्शनीय था, ये और बात कि जनता को काफी बार शो के दौरान ऐसा महसूस हुआ कि चीज़ों, परिस्थितियों और घटनाक्रमों को पूर्वनियोजित तरीके से रचा गया था। वैसे आमतौर पर किसी रिएलिटी शो के बारे में जनता का ध्यान इन पहले से की गई तैयारियों की तरफ नही जाता, परन्तु इस बार काफी खोजबीन और पूछताछ की गई। कुछ लोगों को मज़े का और कुछ को खाली समय बिताने का बेहतरीन मसाला मिल गया, क्या उम्मीद थी आपको कि मोदी एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर कूदते चढ़ते दिखेंगे, 68 की सीमा रेखा पार कर रहे इस बुद्धिजीवी को स्पष्ट ज्ञान है कि देश की जनता वास्तविक से अधिक काल्पनिक नायक पर भरोसा करती है किन्तु जिसे भी जनता नायक मान ले उसके प्रत्येक क्रियाकलाप को काल्पनिक रूप देकर देखती है तो अकसर वो भी दिखने लगता है जो हुआ ही नही या किया ही नही गया। मोदी को पता है कि जनता क्या चाहती है और ऐसा इस कारण से नही कि वे कुशल राजनीतिज्ञ हैं वरन इस कारण से है कि वे जन साधारण के मस्तिष्क को बड़ी कुशलता से पढ़ पाते हैं और जनता की नब्ज़ परख चुके हैं। चुनाव हों या राष्ट्रहित में लिया गया कोई बड़ा फैसला, कुल मिलाकर मोदी का वार एकदम सटीक बैठता है।
बहरहाल बियर ग्रिल्स के शब्दों में, ‘‘आपने वो कर दिखाया जो पिछले 100 सालों में किसी भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को करते नही देखा गया।’’ मेरे ख़्याल से इतनी प्रशंसा काफी होनी चाहिए थी, पर विपक्षी खेमों से इस क़दर जलने की बू आ रही है मानों कहीं विवाह-उत्सव में तंदूर गर्म किया जा रहा हो। ऐसे में एक शेर याद आ गया, ‘‘चमन से आ रही है बू ए क़बाब, ज़रूर किसी बुलबुल का दिल जल रहा होगा’’। अब आगे यर्थाथवादी चर्चा भी हो जाए, ख़रबूजे को देख ख़रबूज़ा रंग बदलता है कि तर्ज़ पर सही या फिर प्रतियोगिता मान कर ही सही, पर्यावरण और प्रकृति प्रेम का ढोल पीटने के लिए अब शीघ्र ही जिम काॅर्बेट में अतिथियों का तांता लगने वाला है। ऐसे ही पर्यटन और वास्तविक भारत के सघन वन की भीतरी सुंदरता को जानने का अवसर देश विदेश सभी जगह के लोग पाना चाहेंगे, ये भी संभव है कि कभी पर्यटन की आय, संभवतः आबकारी से भी अधिक हो जाए।
कुल मिलाकर मोदी की एक पंथ दो काज की रणनीति सावन के महीने में भारत के भविष्य को हरियाली की राह पर ले चली है और ये हरियाली देश के कोने कोने से लेकर देश की जेब तक फैलेगी इसमें कोई संदेह नही।
बहरहाल बियर ग्रिल्स के शब्दों में, ‘‘आपने वो कर दिखाया जो पिछले 100 सालों में किसी भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को करते नही देखा गया।’’ मेरे ख़्याल से इतनी प्रशंसा काफी होनी चाहिए थी, पर विपक्षी खेमों से इस क़दर जलने की बू आ रही है मानों कहीं विवाह-उत्सव में तंदूर गर्म किया जा रहा हो। ऐसे में एक शेर याद आ गया, ‘‘चमन से आ रही है बू ए क़बाब, ज़रूर किसी बुलबुल का दिल जल रहा होगा’’। अब आगे यर्थाथवादी चर्चा भी हो जाए, ख़रबूजे को देख ख़रबूज़ा रंग बदलता है कि तर्ज़ पर सही या फिर प्रतियोगिता मान कर ही सही, पर्यावरण और प्रकृति प्रेम का ढोल पीटने के लिए अब शीघ्र ही जिम काॅर्बेट में अतिथियों का तांता लगने वाला है। ऐसे ही पर्यटन और वास्तविक भारत के सघन वन की भीतरी सुंदरता को जानने का अवसर देश विदेश सभी जगह के लोग पाना चाहेंगे, ये भी संभव है कि कभी पर्यटन की आय, संभवतः आबकारी से भी अधिक हो जाए।
कुल मिलाकर मोदी की एक पंथ दो काज की रणनीति सावन के महीने में भारत के भविष्य को हरियाली की राह पर ले चली है और ये हरियाली देश के कोने कोने से लेकर देश की जेब तक फैलेगी इसमें कोई संदेह नही।
Comments
Post a Comment