
पुलिस की कहानी क्या होगी पता नहीं पर स्थानीय ग्रामीण इस घटना की इसी प्रकार पुष्टी कर रहे हैं. दो लड़के और दो लड़कियां ये किस तरह का गैंगरेप समझाना चाहती है पुलिसिया जांच? बलात्कारियों का कितना दोष है ये तो समझना संभवतः कठिन नहीं है पर उन प्रेमी जोड़ों का दोष कितना भयंकर परिणाम बनकर सामने आया है ये तो हमें तय करना होगा. ये कौन सा फैशन शहर से लेकर गाँवों तक को संक्रमित कर रहा है जहाँ "मैं अपनी ज़िन्दगी, अपने तरीके से जीना चाहती हूँ।" की परिभाषा इन लड़के लड़कियों ने सम्भोग तक सीमित कर ली है, प्रकृति और उसके बनाये नियमों का दोषपूर्ण अनुवाद सर्वनाश को आमंत्रण दे रहा है.
अब बलात्कारियों को शरण दे रही और फांसी ना होने देने के कानून को लाने का वादा करने वाली इस सरकार से उत्तर प्रदेश भला कैसे न्याय की आशा रखे? कहीं ऐसा तो नहीं की बलात्कारियों की रक्षा इसलिए की जा रही हो क्यूंकि जात-पात के नाम की बची-खुची राजनीती ने अभी भी सपा सरकार की ५ सीटें बचा रखी हैं.
अब बलात्कारियों को शरण दे रही और फांसी ना होने देने के कानून को लाने का वादा करने वाली इस सरकार से उत्तर प्रदेश भला कैसे न्याय की आशा रखे? कहीं ऐसा तो नहीं की बलात्कारियों की रक्षा इसलिए की जा रही हो क्यूंकि जात-पात के नाम की बची-खुची राजनीती ने अभी भी सपा सरकार की ५ सीटें बचा रखी हैं.
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