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अँधेरे का सच

हर बार सच एकदम वैसा नही होता जैसा उसे आपके सामने परोसा जा रहा हो, हमारे साथ अनिष्ट या दुर्घटना तभी होती है जब हमसे उस घटना के बराबर ही कोई अपराध अथवा भूल हुई हो. "The third of Sir Issac Newton's laws of physics; Every Action has an Equal and Opposite Reaction" उस रात की कहानी शहर से गाँव की ओर बढ़ने वाले विकृत आधुनिकता की कलम से लिखी गयी थी. जवानी किसी रिश्ते के दबाव में नहीं आना चाहती, ज़रूरतें पूरी हो जाएँ किसी भी कीमत पर बस इतना ही सोचता है एक युवा मन, इसी ज़रूरत के पीछे पीछे चलते हुए ये दोनों बहने आधी रात घर की देहलीज़ लांघ गयीं. वास्तव में इन दोनों लड़कियों की योजना पहले से ही खेतों में जाकर अपने प्रेमियों से चोरीछुपे मिलने की तय थी बस थोड़ी सी चूक हो गयी. उसी दौरान उस इलाके से गुज़र रहे कुछ दूसरे लोगों की निगाह उनपे उस अवस्था में पड़ी जिसके बाद प्रेमी जोड़ों का वहाँ से भाग पाना असंभव हो गया, लड़कों की पिटाई के बाद उन दोनों लड़कियों के साथ बड़ी बेरहमी से सामूहिक बलात्कार किया गया, अब बारी थी एक अपराध को छुपाने के लिए दूसरा अपराध करने की, लड़कियों के लिए गांववालों के परिचित चेहरे पहचानना कोई बड़ी बात नही थी लिहाज़ा उन दोनों को जीवित छोड़ने की मूर्खता भला वे लोग कैसे कर सकते थे... इसलिए सौ का सीधा एक जवाब मान कर उन लोगों ने लड़कियों को मार कर लटका दिया और तुरंत ही ये जानकारी अपने परिचित पोलिसकर्मी को भी दे दी की भाई गलती से गलती हो गयी थोड़ा मामला संभाल लेना, लिहाज़ा बेदिमाग जवानी के जोश में फंसे उन लड़कों से बेहतर निशाना कोई और नहीं हो सकता था, दोनों प्रेमियों को ही बलात्कारी मान लिया गया, जांच के दौरान जब लड़कियों में २ से अधिक वीर्य के नमूने मिले तो कहानी साफ़ हो गयी, की दुष्कर्म केवल २ नहीं बल्कि कई लोगों ने मिलकर किया है.
पुलिस की कहानी क्या होगी पता नहीं पर स्थानीय ग्रामीण इस घटना की इसी प्रकार पुष्टी कर रहे हैं. दो लड़के और दो लड़कियां ये किस तरह का गैंगरेप समझाना चाहती है पुलिसिया जांच?  बलात्कारियों का कितना दोष है ये तो समझना संभवतः कठिन नहीं है पर उन प्रेमी जोड़ों का दोष कितना भयंकर परिणाम बनकर सामने आया है ये तो हमें तय करना होगा. ये कौन सा फैशन शहर से लेकर गाँवों तक को संक्रमित कर रहा है जहाँ "मैं अपनी ज़िन्दगी, अपने तरीके से जीना चाहती हूँ।" की परिभाषा इन लड़के लड़कियों ने सम्भोग तक सीमित कर ली है, प्रकृति और उसके बनाये नियमों का दोषपूर्ण अनुवाद सर्वनाश को आमंत्रण दे रहा है.
अब बलात्कारियों को शरण दे रही और फांसी ना होने देने के कानून  को लाने  का वादा करने वाली इस सरकार से उत्तर प्रदेश भला कैसे न्याय की आशा रखे? कहीं ऐसा तो नहीं की बलात्कारियों की रक्षा इसलिए की जा रही हो क्यूंकि जात-पात के नाम की बची-खुची राजनीती ने अभी भी सपा सरकार की ५ सीटें बचा रखी हैं.

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