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शराबियों को भी मिले लाईसेन्स



शराबियों को भी मिले लाईसेन्स
मेरे देश में हर काम के लिए अनुमति के तौर पे वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, आई कार्ड, पैन कार्ड, हेल्थ कार्ड, आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड प्रेस कार्ड और बिना वजह अपनी अहमियत जताने के लिए विज़िटिन्ग कार्ड आदि बड़ी संख्या में मौजूद हैं और लोग इनका बड़े आराम से उपयोग भी करते रहते हैं। तरह-तरह के लाईसेन्स भी मुहैया कराए गए हैं जिनमें प्रमुख हैं ड्राईविंग, हथियार रखने के और शराब बेचने का लाईसेन्स...
अब ज़रा गौर फरमाईये जब शराब बेचने का लाईसेन्स होता है तो पीने का क्यूं नही? अब आप हैरान हो जाने का ड्रामा न करिए, हर 10 में से 9 पीने वाले लोग हैं ये क़बूल कर लेने में क्या बुराई, अब तो महिलाएं भी इसमें महारथ हासिल कर चुकी हैं, भले ही वे ढोंग को भली भांति निभाती रहें क्यूंकि समाज ऐसी औरतों को ग़लत ही समझता है पर सच को अनदेखा करने से वो बदल तो नही सकता न? अब शौक़ है तो है...निभाईये!
बहरहाल मेरा मुद्दा औरतों की शराब की लत पर टिप्पणी करने का नही बल्कि सरकार के फायदे का है जो वैट लगाने, पेट्रोल, अनाज, गाड़ियों वगैरह की क़ीमत बढ़ाने से ज़्यादा फायदेमन्द है, क्यूंकि मेरी नज़र में शौक़ किसी औरत या मर्द में फर्क नही समझता उसके लिए सब बराबर है, आखि़र शौक या रुचि भी इंसान को मिले ईष्वर के तोहफों में से एक है। सरकार पीने वालों के लिए लाईसेन्स ही क्यूं नही जारी कर देती, सीधी सी बात है आपका स्वास्थ्य, आमदनी, उम्र और पसंद ही आपके पीने की पात्रता का सबूत होगा। आपके कार्ड किसी एटीएम कार्ड से कम नही होंगे...शराब विक्रेता अपनी मषीन पर आपका कार्ड स्वेप करते ही बता देगा कि इस माह आपने कितनी शराब खरीदी और अब कितनी खरीद सकते हैं। आपका शराब का कोटा तय होगा... बिल्कुल आपके घर के बजट के मुताबिक। यह लाईसेन्स का प्रतिवर्ष नवीनीकरण करवाना होगा, जितना सरकार तय करे उतनी फीस देकर। कुल मिलाकर यह प्रक्रिया आपको बताएगी कि आप सालभर में कितनी शराब पीने के लायक हैं।
हो सकता है आते समय में आपको शराब पर सिलेण्डर की तरह सब्सिडी भी मिलने लगे, हर महीने हर बोतल पे 10 प्रतिषत की छूट, आखिर गैस कनेकषन की तरह आप शराब का भी फार्म जो भरेंगे, इस फार्म में आप देषी या अंग्रेज़ी शराब में से किसी एक को चुन सकेंगे। जैसे आर्युवेदिक, होम्योपैथ, यूनानी या अंग्रेज़ी दवाओं में से एक को चुनते हैं। ज़रा सोचिए अगर पीना किसी के कन्ट्रोल में होता तो सालाना हम कितना पैसा अपने परिवार के लिए बचा पाते, पर यहां तो दोस्तों के कन्ट्रोल में होता है जो खुद किसी के कन्ट्रोल में नही होते और हर बार कहते हैं, ‘‘यार एक पैग और हो जाए’’
जब पिलाने और पीने का कोटा तय होगा, तो किसमें दम है कि एक घूंट भी और पूछ ले या मांग ले अगर महीने में कम पड़ गई तो मांगने की नौबत आ जाएगी जो कोई नही देगा। भई! आखिर सबको अपना कोटा प्यारा जो है। अब यहां तक पढ़ कर आपको गुस्सा आ रहा होगा कि एक इसी चीज़ से असली खुषी मिलती थी उस पर भी लगाम कसने की पहल कर दी, लेकिन एक बार दिल और दिमाग से इकठ्ठे सोच के बताईये कि क्या ये असली खुषी आपको हर मामले में ज़रूरत से ज़्यादा महंगी नही पड़ जाती। हम घर के महीने के राषन ईंधन से इस असली खुषी का पैसा बचाने लगते हैं, हम बच्चों के खिलौने में इस असली खुषी का पैसा बचाने लगते हैं, हम पत्नी या पती के शौक़ और उनके चेहरे पर छोटी छोटी खुषी लाने वाली चीज़ों में अपनी इस असली खुषी का पैसा बचाने के लिए कह देते हैं, ‘‘ क्या फालतू चीज़ों पे पैसे बरबाद कर रही/रहे हो’’ जबकी हम अन्जाने में उनकी असली खुषी पर डाका डाल रहे होते हैं। मैं ये नही कहती की शराब का शौक फालतू है न बिल्कुल नही, बल्कि ये तो वो शौक है जो सबको रास नही आता, क्यूंकि इस शौक को संभाल पाना सबके बस का जो नही। लोग या तो खुद बिक जाते हैं या घर और घरवालों को बेचकर पी जाते हैं। मज़ा तो तब है जब आपकी खुषी सबको खुष रखे, एक शब्द है संतुलन, जिसके बल पर सारी दुनिया, प्रकृति और ये समस्त जीवन टिका है, कहते हैं यदि ये संतुलन हर कार्य में हो तो जीव और जीवन सध जाता है तो जब पीने को जीवन का भाग मान ही लिया है तो इसमें भी संतुलन ले आईए।
मैं सरकार को सुझाव दे रही हूं बेषक ये मानते हुए कि पीने - पिलाने में कोई बुराई नही जबतक वह संतुलित अवस्था में किया जा रहा हो, कि सरकार बेझिझक बेषक पियक्कड़ों का लाईसेन्स निकाले और महीने भर का कोटा तय करे जिससे कल को आपके पास ही आपका बेटा या बिटिया उम्र समझ और समय से पहले साथ खड़े होकर शराब न खरीद सकें और आपको डरते हुए दुकान तक न जाना पड़े कि कहीं आपका बच्चा आपको शराब खरीदते हुए यह न कह बैठे कि‘‘वाह पापा मेरी क्रिकेट बैट खरीदने का पैसा आपके पास नही पर इसके लिए है’’, आपकी जेब आपके परिवार की खुुषियों में कटौती कर के आपकी बोतल न खरीदे, आप अपनी पत्नी या पत्नी अपने पति के समक्ष शर्मिन्दा न हो कि इतना पैसा कमाने के बाद भी आप किसी को खुष नही रख सकते। जब लाईसेन्स होगा तो आप भी विष्वास से भरे रहेंगे कि आपने कोई फालतू खर्च नही किया और शौक को षौक की जगह ही रखा लत नही बनने दिया। बस एक इसी मामले में देष ढीला रह गया है इसे भी अटल सत्य मानकर इसका भी निदान कर डालिए क्या पता कल को देष की चैथाई समस्याएं इसी के बल पर हल हो जाएं।

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