राम सेवक यादव को ऐसा कौन सा लालच बेचा गया कि उसने सारा इल्ज़ाम अकेले अपने सर पे ले लिया। किन लोगों को बचा रही है सरकार, क्या दंगों से बचाव के लिए ऐसा क़दम उठाना पड़ा या आने वाले चुनावों में अपने बचे हुए वोट बैंक की हिफाज़त के लिए जनता से इतना बड़ा धोखा किया जा रहा है। जब उस लैब अटेन्डेट महिला के शरीर से वीर्य के चिन्ह बरामद हुए तो किस प्रकार पुलिस बलात्कार को नकार रही है। मो...हनलालगंज में कौन सा फ्लैट दिखाने ले जाया गया था उसे, रायबरेली रोड पी0जी0आई के आगे कौन से फ्लैटस का निर्माण हो रखा है जो किराए पे दिए जाने को तैयार हो। तीन-चार लोगों द्वारा किए जाने वाले कुकर्म को कैसे पुलिस ने एक ही व्यक्ति के सर डाल दिया। जिस प्रकार ये हत्या की गई वो किसी अकेले व्यक्ति का काम हो ही नही सकता। पोस्ट मार्टम की रिर्पोट में उस महिला के दोनों गुर्दे दिखाए गए हैं जबकि उस ग़रीब ने अपने पति की बीमारी के चलते पहले ही अपना एक गुर्दा दे चुकी थी, तो क्या मौत के बाद गुर्दा वापस निकल आया। पोस्ट मार्टम की रिर्पोट तो झूठी है ही साथ ही सरकार के दबाव में आकर पुलिस भी जांच की झूठी रिर्पोट पेश कर रही है। उत्तर प्रदेश की बाकी मजबूर महिलाएं भी तैयार रहें क्यूंकि उन्हें दांव पर लगा कर ये सरकार अपने अगले चुनावों के वोट खरीद रही है। महिलाओं का सम्मान बेचना हो या जीवन कोई फर्क नही पड़ता, क्यूंकि फिर वही बात आएगी कि लड़के हैं और लड़कों से ग़लती हो जाती है।
सही कहा मेरे एक फेसबुकिए मित्र ने कि ज़रूरत से ज़्यादा बेवकूफ और ज़रूरत से ज़्यादा समझदार लोगों में एक ही बुराई होती है, दोंनो ही किसी की नही सुनते। इधर खुद पर भी काफी हंसी आई जब लगातार एक मूर्ख को मैं धारा 370 के एक आलेख पर जवाब देती रही, मुझे एहसास हुआ कि मैं भी वही कर रही हूं जो ये मूर्ख कर रही है। उसने ध्यान से मेरे आलेख को पढ़ा ही नही था, उसे अपना सीमित ज्ञान हम सब तक पहुंचाना था और शायद इतना लिखना उसके बस में नही था तो उसने मुझे ही सीढ़ी बनाने की सोच ली। अचानक से आया किताबी और अधूरा ज्ञान कितना घातक होता है ये देख कर हंसी से ज़्यादा दहशत हुई, ऐसे ही अधूरे ज्ञान के साथ भारत की युवा पीढ़ी का भविष्य कहां जा रहा है??? इनकी भाषा और विरोध ने जाने अंजाने इन्हें देश के विरूद्ध कर दिया है, उम्र और युवावस्था की तेज़ी में भ्रष्ट बुद्धि के कुछ लोग आपको बिना समझे ही शिक्षा देने लगें तो एक बारगी तनिक कष्ट तो होता है फिर इन्हीं लोगों की बुद्धि और समझ पर दया भी आती है। उस बेचारी को जाने देते हैं क्यूंकि वो एक आधी अधूरी जानकारी और अतिरिक्त आत्मविश्वास का शिकार युवा थी, थोड़ा ऊपर उठ कर बात करते हैं क
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