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साक्षात्कार श्री अवैद्यनाथ जी सन् 2007 गोरक्षपीठ गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर


प्रारंभिक दिनों में मेरे पत्रकारिता जीवन के प्रथम संपादक जिनका मार्गदर्शन मेरे पत्रकार को उभारने की कंुजी बना स्वर्गीय श्री विजयशंकर बाजपेयी संपादक विचार मीमांसा जो भोपाल से प्रकाशित हुआ करती थी और सन् 1996 में सर्वाधिक चर्चित एवं विवादित पत्रिकाओं में से एक रही। आज उनकी स्मृतियां मेरे हृदय के कोष में एकदम सुरक्षित है, उनके साथ व्यतीत हुए शिक्षापूर्ण क्षणों को भूल जाना मेरे लिए पत्रकारिता से सन्यास लेने के समान है। ऐसे अमूल्य गुणी एवं ज्ञानी व्यक्ति के मार्गदर्शन में तथा विचार मीमांसा के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख के रूप में गोरखपुर मेरा उत्तर प्रदेश का पहला सुपुर्द नियत कार्य था, जहां मुझे गोरक्षनाथपीठ पर पूरा प्रतिवेदन तो लिखना ही था साथ ही महन्त स्वर्गीय श्री अवैद्यनाथ जी और योगी आदित्यनाथ के साक्षात्कार भी करने थे। किन्ही दुखःद कारणों एवं परिस्थितियांवश जिनकी चर्चा कर मैं विचार मीमांसा की अदभुत स्मृतियों का अपमान नही करना चाहती, यह कहानी विचार में तो प्रकाशित न हो सकी किन्तु अन्य कुछ एक पत्रिकाओं में इस विवादग्रस्त विषय को स्थान मिला, और श्री अवैद्यनाथ जी के देहत्यागने के समाचार को सुन सहसा मन में आया कि उनके इस विशेष साक्षात्कार को क्यूं न मैं आप सबके साथ सांझा करूं!
 


 
ऽ हिन्दुमहासभा के लिए राजनीतिक परिस्थ्तिियां किस प्रकार की रहीं हैं ?
दिग्विजयनाथ जी जीवन भर हिन्दुमहासभा से ही चुनाव लड़ते रहे तथा हिन्दुमहासभा से ही जीतकर पार्लियामेन्ट में गए। उन्होने तो यहां तक कहा कि, ‘‘मुसलमान हमारे बक्से में वोट ना डालें अन्यथा हमें बक्से को गंगाजल से धोना होगा, क्योंकि हिन्दुओं का बहुमत होते हुए भी यदी हम नही जीत सके तो तुम्हारे वोट से हम नहीं जीतना चाहते।’’
हम भी चार बार पार्लियमेंट में रहे हैं,और बराबर हिन्दुमहासभा से ही लड़ते रहे। छोटे बाबा आदित्यनाथ जो हमारे षिष्य हैं वे भी तीन बार से पार्लियमेंट में हैं।
हमारा ध्येय और उद्देष्य यही है कि हिन्दु समाज में व्याप्त समस्त बुराईयों जैसे छुआछूत,अस्पृष्यता,जातिवाद ये हिन्दु समाज को तोड़ रहा है। इन्हें समाप्त कर समस्त हिन्दु जाति को एकता के सूत्र में आबद्ध करके हिन्दू समाज को महाषक्ति के रुप में प्रतिष्ठित किया जाए।
समस्त राजनीतिक पार्टियां जाति के नाम पर वोट पाने के लिए हिन्दुओं में भेदभाव उत्पन्न कर उन्हें बांट रही हैं। आज भले ही कोई मन का लड्डू खा ले कि हिन्दू स्वतंत्र है,परन्तु आज भी वह स्वतंत्र नही है। आज भी राम जन्मभूमि,कृष्ण जन्मभूमि,विष्वनाथ मंदिर मुस्लिम स्मारक बने हुए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेष सरकार के मंत्री आजम खान ने इस्लाम प्रदेष की मांग की और फिर भी वह मंत्री बना हुआ है। आज हमें मुस्लमानों से इतना ख़तरा नही है जितना हिन्दुओं से है। हिन्दू नेता केवल वोट के लिए सिमी जैसे संगठन को कहता है कि वह राष्ट्रवादी है,जबकि सिमी पर मुकद्मा चल रहा है। कहने का तात्पर्य यह कि आज हिन्दू ही हिन्दू का सबसे बड़ा शत्रु है।

ऽ अर्जुन सिंह के इन कथनों
षिव नंगे रहते हैं....!
षिव राक्षसों की स्त्रियों से व्यभिचार करते हैं...!
दुर्गा औरत होकर शराब पीतीं है...!
इन सब पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
देखिए अर्जुन सिंह आज की बात नही वो तो हमेषा से  ही जयचंद खानदान से है, जैसे जयचंद ने ग़द्दारी की वैसे ही वो देष को तहस-नहस कर रहा है।
हिन्दू देवी देवताओं महापुरुषों के लिए इस तरह की बातें कह कर ऐसे लोग स्वयं को सेक्यूलर सिद्ध करना चाहते हैं, मुसलमानों को वो कुछ नही कह सकता। उनके पैग़म्बर को गाली नही देगा जिससे उन्हें मुसलमानों का वोट मिले। मुसलमानों के विरुद्ध कोई मुसलमान बोले तो फ़तवा जारी करके उसे समाप्त कर दिया जाता। हिन्दुओं में ऐसी भावना नही है, हिन्दुओं को षत्रु और मित्र की पहचान होनी चाहिए । आज एक हिन्दू ही हिन्दू को इस तरह की गाली दे सकता है। किसी दूसरे जाति अथवा धर्म के व्यक्ति का इतना साहस नही कि वह इस तरह की बात कहे। हमारे समाज में जो जयचंद की संतानें हैं वे ही इस प्रकार की बातें कर रहे हंै।

ऽ क्या आपकी दृष्टि में हिन्दू इतना सक्षम है कि वह संसार के समक्ष खड़ा होकर अपना अस्तित्व सिद्ध कर सके ?
देखिए आपको मालूम होना चाहिए कि भारत का वास्तविक नाम आर्यव्रत था और लंका,वर्मा,जावा,सुमात्रा से इन्डोनेषिया तक ये सब भारत के कटे हुए भाग हैं। वहां के सारे मुसलमान आज भी रामलीला करते हैं और जब कट्टरपंथी उनका विरोध करते हैं तो वे कहते हैं कि हमारे पूर्वज जो करते आए हैं हम उसी परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। धर्म से भले ही वे इस्लाम में परिवर्तित हो गए हों, परन्तु आज भी उनके नाम हिन्दू हैं। मेघावती, सुकर्णो, सुहार्थो.....आदि। इधर अफ़गानिस्तान, बलूचिस्तान और ईरान जो कि आर्य शब्द से बना है। आपके और हमारे समय तक आते-आते कष्मीर, बांग्लादेष, फ्रंटियर, सिन्ध, पंजाब, कट गए। जो हिस्से कट गए उनसे हिन्दुओं का उन्मूलन होता गया। ना वहां हिन्दू मंदिर हैं ना हिन्दू समाज है यदी है भी तो अपमानित होकर रह रहा है। हमारा देष तो सिकुड़ कर छोटा होता जा रहा है।

ऽ यहां के मुसलमानों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, जबकि उसे विषेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है?
यहां कदाचित् स्वतंत्रता से पूर्व मुसलमान इतना सम्मानित नही था जितना आज है। वो हिन्दू धर्म के विरुद्ध जिस तरह से बोलता है, उसकी खिल्ली उड़ाता है भारत माता को खुलेआम डायन कहता है और उन्हे प्रोत्साहन मिलता है उन्ही हिन्दू देषद्रोहियों से जो स्वयं को सेक्यूलर सिद्ध करने के लिए हिन्दू होकर हिन्दुओं को गाली देता है। जब हिन्दू ही हिन्दू को गाली दे तो मुसलमान तो देगा ही।

ऽ क्या यहां के नेताओं के संबंध आई.एस.आई से हो सकते हैं?
बिल्कुल हैं अन्यथा कृष्णानंद राय और उसके भाई की हत्या कर मुख़्तार अंसारी निर्भय होकर घूम रहा है। उसे एक हिन्दू नेता का ही सर्मथन प्राप्त है। ये लोग जिसे भी हिन्दुत्व की बात करते देखते हैं उसे समाप्त कर देते हैं।

ऽ ऐसी बाहरी शक्तियों का सामना कर पाना क्या आप लोगों के लिए सरल होगा?
इतिहास साक्षी है कि यहां सदैव राजाओं में संघर्ष होता रहा है। जो राजा हार जाता था वह मुसलमानों को इस देष में बुला कर अपना प्रतिषोध लेता था। इन्ही कारणों से हमारा महान देष जिसे जगत्गुरु का स्थान प्राप्त था, सोने की चिड़िया कहलाता था, यहां एक से एक महापुरुष ऋषि मुनि रहे, इतना वैभवषाली देष एक हज़ार वर्श तक ग़ुलाम बना रहा। आज इस जाति के नेता वही पाप कर रहे हैं जो उस समय के राजाओं ने किया था। यदि यह देष फिर से गु़लाम हो जाए तो इसमें कोई आष्चर्य नही है। यहां हिन्दुओं में जातिवाद की भावना इतनी अधिक है कि उन्हे एकत्र कर पाना कठिन हो गया है।

ऽ आप लोग ऐसी व्यवस्था क्यूं नही करते कि बचपन से ही बच्चों में हिन्दुत्व की भावना का संचार हो और हिन्दू धर्म में फैले जातिवाद का नाष हो?
हम ऐसा ही कर रहे हैं, हम धार्मिक प्रवचनों में स्वर्ग और नर्क की षिक्षा नही देते बल्कि हम सम्मान पूर्वक जीवन जीने की कला का प्रचार करते हैं। दूसरे, राम की पूजा करके भी राम के आदर्षों का सम्मान ना करने वालों को यह याद दिलाते हैं कि उनका वन-गमन मात्र कैकेयी के वचन का पालन ना होकर हिन्दू समाज की समस्त जातियों को आपस में जोड़ना था। उन्होने सबरी के झूठे बेर खाए, वाल्मीकि आश्रम में जो हरिजन थे वहां लव-कुष जन्म हुआ इस प्रकार के कई आर्दष उन्होंने प्रस्तुत किए।
बाबा अम्बेडकर को हम हिन्दुत्व रक्षा का श्रेय देते हैं। जब वे हरिजनों को कालाराम के आश्रम दर्षन के लिए ले गए तो सारे सवर्ण उनका मार्ग रोककर खड़े हो गए कि दर्षन ना हो सके तब उन्होने कहा कि अब मैं हिन्दू नही रहूंगा। उस समय उन्हें हैदराबाद के नवाब की तरफ से निमंत्रण मिला कि यदि वे मुसलमान हो जाएं तो हरिजनों के उद्धार के लिए वे जितना चाहें धन ले सकते हैं, ऐसे ही जिन्ना ने उनसे कहा यदि तुम मुसलमान हो जाओ तो मैं तुम्हे पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बना दूंगा। अम्बेडकर हिन्दुओं के दुरव्यवहार से खिन्न अवष्य थे परन्तु उन्होंने इसाई मुसलमान बनना स्वीकार नही किया, वे बौद्ध हो गए। इसलिए आज भी उनकी जयन्ति पर दलित इसाई मुसलमान ना बन कर बौद्ध धर्म अपनाता है। यदि वे मुसलमान हो जाते तो आज समस्त हरिजन जाति मुसलमान हो जाती। हिन्दू समाज के रक्षकों में बाबा अम्बेडकर का नाम सर्वोपरि है।

ऽ आप भी संसद सदस्य रहे हैं, अपने समय में आपने कौन से महत्वपूर्ण कार्य किए?
मैं रामजन्म भूमि आन्दोलन का अध्यक्ष हूं, इसके लिए सारे देष में मैने प्रचार प्रसार किया, साथ ही हरिजन सहभोज आन्दोलन चलाया। यही नही जिस समय दक्षिण में रामनाथपुर और मिनाक्षीपुर गांव के गांव हरिजन मुसलमान बन गए थे मैं उस समय पार्लियमेंट में था। मैने उस समय कहा कि अब मैं चुनाव नही लड़ूंगा क्योंकि इस समय यदि मैं चुनाव लड़ता हूं तो लोग कहेंगे कि यह महन्त वोट के लिए हरिजनों के साथ भोजन कर रहा है। इसीलिए 1980 से 1989 तक मैंने चुनाव की राजनीति छोड़ दी।
बनारस के डोमराजा के यहां समस्त धर्माचार्याें ने भोजन किया। डोमराजा ने कहा, ‘‘आज मैं स्वयं को अनुभव कर रहा हूं कि मैं भी मनुष्य हूं। लोग तो मेरी छाया पड़ने से स्नान करते थे।’’ कहने का तात्पर्य यह है कि हम सारे देष में घूम-घूम कर यही काम करते रहे, यदी हम ऐसा नही करेंगे तो हिन्दू समाज का भविश्य अंधकार में है।

ऽ हरिजनों को हिन्दू समाज में किस रुप में देखते हैं?
हिन्दू समाज एक परिवार है, यदी इस परिवार के लड़के को सम्मान ना मिले तो वह घर छोड़ कर चला जाता है। इस प्रकार यदी हरिजन को हमने सम्मान नही दिया तो वह
हिन्दू समाज त्याग कर शत्रुओं से मिल जाएगा। आज हिन्दुओं को एकत्रित करके बचेखुचे राज्य की रक्षा करनी है, इसके लिए हरिजनों को हिन्दू समाज में जोड़ना नितान्त आवष्यक है और वह तभी जुड़ेगा जब हम छुआछूत को समाप्त कर देंगे।

ऽ जहां तक राष्ट्रीयता का प्रष्न है तो इस देष के सभी बच्चों की षिक्षा एक समान होनी चाहिए फिर हर धर्म के लिए पृथक षिक्षण संस्थानों को क्या आप उचित समझते हैं?
जो प्रष्न आपका है वही प्रष्न हमारा भी है...आज इस देष को जोड़ने के लिए एक जैसी षिक्षा पद्धति का होना बहुत आवष्यक है। मुसलिम मदरसों में कु़रआन द्वारा धार्मिक षिक्षा दी जाती है। कु़रआन में तो स्पष्ट लिखा है कि का़फिर, इस्लाम में हिन्दू को क़ाफिर कहा गया है को मारने से सवाब मिलता है। जो का़फिर को मारता है उसे ग़ाज़ी मियां की पद्वी मिलती है और जो का़फिरों से लड़ने में मारा जाता है वह शहीद कहलाता है। इन दोनों को मरते ही जन्नत मिलती है और जो अपनी मौत मरता है वह क़यामत के दिन तक अपनी क़ब्र में रहता है। मुहम्मद साहब को मरे 1400 साल हो चुके क़यामत का दिन तो अभी तक आया नही तो मुसलमान कहता है कि क़ब्र में कौन सड़े,मारो या मरो। मक़तबों में यही षिक्षा दी जाती है।

ऽ क्या ऐसे संस्थानों कोे समाप्त हो जाना चाहिए....?
बिल्कुल हो जाना चाहिए पर सरकार ऐसी आए तब ही ऐसा हो सकेगा। मुलायम सिंह यादव तो ऐसी संस्थाओं को वज़ीफे बांट रहे है और साथ ही 4000 अध्यापक रखने की व्यवस्था भी कर रहा है। हिन्दू ही हिन्दुओं का काल पैदा कर रहा है।

ऽ आपके संघर्ष में क्या कभी किसी सरकार ने आपका सहयोग किया?
भा.ज.पा वालों से कुछ उम्मीद थी परन्तु उन्होने हमारा साथ नही दिया। सन् 1984 में सदन में भा.ज.पा के मात्र दो सदस्य थे, जब रामजन्म भूमि आन्दोलन हुआ तो इनकी संख्या बढ़कर दो सौ हो गई और इसी आन्दोलन की बदौलत भा.ज.पा की सरकार भी बनी। हमने उनसे बराबर कहा कि रामजन्म भूमि के कारण ही आप सरकार में आए है और षीघ्र इसका प्रस्ताव लाइए, लेकिन ये प्रस्ताव नही लाए। इन्होने राम से धोखा किया। इनकी दुर्गति का कारण भी यही है।

ऽ वर्तमान सरकार के चलते आपको किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है?
कठिनाईयां ही कठिनाईयां हैं मुलायम सरकार मुसलमानों का साथ दे रही है। हमारे सहयोग का तो प्रष्न ही नही उठता।

ऽ आपकी राष्ट्र से क्या अपील है?
इस्लाम को धरती पर आए मात्र 1400 वर्ष हुए हैं और
आज सारे संसार में मुसलमानों के छोटे बड़े कुल 80 देष है कारण उनमें एकता है, और हमारा हिन्दू धर्म इतना प्राचीन होकर भी हमारे विषाल देष की सीमाएं सिकुड़ कर छोटी होती जा रही हंै। तो आज की हमारी पहली आवष्यक्ता है हिन्दू समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त कर हिन्दू एकजुट होकर खड़ा हो। देष की स्वतंत्रता भी सुरक्षित रहेगी, हिन्दुओं का सम्मान सुरक्षित रहेगा और हमारा वैभव सुरक्षित रहेगा।

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