Skip to main content

मेरा लिया योगी आदित्यनाथ का साक्षात्कार अगस्त 2006 से आजतक तेवर नही बदले

आज जब सारा राष्ट्र बड़ी आशा के साथ आपमें एक सक्षम नेतृत्व खोज रहा है तो ऐसे में आप गोरखपुर क्षेत्र तक ही क्यूं सीमित हैं?
देखिए मैं तो एक अत्यंत सामान्य व्यक्ति हूं..,और कार्य तो किसी एक क्षेत्र विशेष में ही होगा। पूरे देश में अथवा पूरे विश्व में यदि हम चाहें कि एक साथ कार्य हो तो यह संभव नही है। एक क्षेत्र विशेष में कार्य करके वहां से उसका प्रचार प्रसार स्वतः हो हम लोग इसी अभियान में लगे हैं खासतौर से देश की जितनी भी समस्याएं हैं उन सबसे यह क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित है। आप दिल्ली, कश्मीर, बुन्देलखण्ड कहीं भी जाईए सबकी अलग-अलग समस्याएं होंगी। उन सभी क्षेत्रों की समस्याएं आपको एकसाथ गोरखपुर में मिल जाएंगी। यहां नेपाल से सटी हुई सीमा इस्लामिक आतंकवाद से भी प्रभावित है और माओवादी गतिविधियों से भी प्रभावित है। बिहार की सीमा राजनीतिक अपराधियों से भी प्रभावित है साथ ही नक्सलवादी गतिविधियों से भी प्रभावित हैं। बात मुम्बई बम विस्फोट की हो या कोई अन्य आतंकवादी घटना पूर्वी उत्तर प्रदेश का उसमें कहीं ना कहीं नाम आ ही जाता है। तो हम लोग इस क्षेत्र विशेष में कार्य कर एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहते हैं कि उससे अन्य लोग प्रेरित हों।
इस्लामिक गतिविधियों को जो लोग अंजाम दे रहे हैं वे सभी मुसलमान हैं, इसके पीछे क्या कारण है?
स्वाभाविक रुप से मुसलमान तो है ही, देखिए! भारत का राजनातिक नेतृत्व बहुत बड़ी ग़लती कर रहा है कि वह इस्लाम के अन्दर अहिंसा का सहिष्णुता का या सत्य का तत्व ढूंढने की मूर्खता कर रहे हैं। संभवतः यह बहुत बड़ी भूल  है क्यूंकि इस्लाम के अन्दर जब तक जेहाद और जन्नत का विचार है तब तक इस्लाम के अन्दर की कट्टरता को आप समाप्त नहीं कर सकते। दूसरी बात वह एक मज़हब है और मज़हब के अन्दर मज़हबी जुनून होगा आप उसे रोक नही सकते। उसकी शिक्षाएं भी उस प्रकार की हैं। उसमें लालच दिया गया है कि जेहाद करोगे तो जन्नत मिलेगी। दार-उल-हरफ़ को दार-उल-इस्लाम में बदलिए और हम जान रहे हैं कि आज नही तो कल जब भी वह दबाने की स्थिति में होगा उसका सत्य स्वरुप सामने आएगा।
इस्लाम की शिक्षा ही इस प्रकार की है। सन् 2001 के शुरु के 6 महीनों में गोरखपुर मण्डल में क़रीब 500 हिन्दू उत्पीड़न की घटनाएं घटी थी। मां बहनों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं थीं, आतंकवादी ट्रेनिंग के कार्यक्रम थे, मंदिरों को तोड़ना, गौ-तस्करी के मामले थे, लूटपाट आगजनी और हिन्दुओं के खिलाफ़ एक दंगा भड़काने की योजना थी। जब ऐसी घटनाएं घटित हुई तो हमने इसे सूचीबद्ध करके प्रशासन से इस पर कार्यवाही करने का अनुरोध किया पर प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नही की। इसके बाद अपने आक्रामक तरीके से हमने कार्यवाही प्रारंभ की बाद के 5 माह के भीतर हमारी कार्यवाही के कारण आशाजनक परिणाम आए और इस प्रकार की घटनाएं एकदम कम हो गईं।
आप लोग किन विशेष क्षेत्रों में काम कर रहे हैं?
विशेषकर नेपाल सीमा तथा बिहार सीमा से लगे हुए क्षेत्रों में हमारी गतिविधियां काफी तेज़ हैं, और मुझे प्रसन्नता है  कि जबसे हम यह कार्य कर रहे हैं अर्थात 2002 से हांलाकि कार्य हम काफी पहले से कर रहे है परन्तु एक संगठन के रुप में हिन्दू युवा वाहिनी जबसे कार्य प्रारंभ हुआ यानी 2002 तबसे आज तक हम काफी हद़ तक उन पर नकेल डालने में सफल हुए हैं। आज आप देखते हैं कि आस पास के क्षेत्रों में गतिविधियां होती ही रहती हैं परन्तु इतना संवेदनशील क्षेत्र होकर भी यह क्षेत्र उन गतिविधियों से सुरक्षित है। आज के समय में बांग्लादेश या पाकिस्तान की सीमा इतनी ख़तरनाक नही हैं जितनी भारत नेपाल सीमा है। भारत के थल-सेना अध्यक्ष कहते हैं कि सारी आतंकवादी गतिविधियों के सूत्र पाकिस्तान से जुड़े हैं पर वे कश्मीर के रास्ते नही आते आज वे कराची से काठमंडू आते हैं और गोरखपुर होते हुए जम्मू चले जाते हैं। हम इन्हीं गतिविधियों पर नकेल डालने में काफी हद तक सफल हुए हैं।
हमारे लिए भारत माता मां दुर्गा भगवती है और उसी की पूजा में हम लगे हुए हैं, हमारे लिए राष्ट्ररक्षा का सिद्धांत मां भगवती की रक्षा और उसकी पूजा करना है। हम अपने को समर्पित करके इसमें लगे हैं हमें विश्वास है कि हम इसपे पूर्णविराम लगा देंगे।

कुछ समय पूर्व नेपाल सीमा से ऐसे मदरसों की सूचनाएं सामने आईं थीं जहां आतंकवादी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, उस समय आपकी ओर से क्या क़दम उठाए गए?
2002 में भारत नेपाल बॉर्डर महाराजगंज जनपद में और जनपद सिद्धार्थ नगर के चार मदरसों में ट्रेनिंग कैम्प चल रहे थे प्रशासन को तुरन्त इसकी सूचना दी गई परन्तु प्रशासन ने इन केन्द्रों को रोकने में अपनी असर्मथता दिखाते हुए हाथ खड़े कर दिए कि हम कुछ नही कर सकते। फिर हमने खुद जाकरके दबाव डालकर के इसको रुकवाया। बहुत कुछ हुआ इसमें....

बहुत कुछ से हम क्या अंदाज़ा लगाएं......?

कहने का मतलब हमने ज़बरदस्ती रुकवाया। हमने पूछा आखि़र सूडानी, अफ़गानी, बांग्लादेशी, पाकिस्तानी भारत के अन्दर ट्रेनिंग किस उद्देश्य से लेके आ रहा है। क्या उसने इसकी परमिशन ली है ? और फिर ट्रेनिंग के लिए भारत नेपाल बॉर्डर ही क्यूं है ? अगर आपको कोई ट्रेनिंग देनी है तो आपके पास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है, आपको धार्मिक,सामाजिक शिक्षा देनी है कोई पाठ्यक्रम चलाना है तो उसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मीलिया विश्वविद्यालय, दारुल उलूम देवबंद है फिर ये बॉर्डर के ही क्षेत्र ट्रेनिंग सेन्टर क्यूं बनने जा रहे हैं ? रुकवाया गया वहां पर आक्रामक रणनीति अपनानी पड़ी।

क्या इस वर्ष भी कुछ ऐसी घटनाओं का समाचार मिला है....?

हां इस वर्ष भी कुछ ऐसी हलचल बार्डर के पास देखने सुनने में आई हैं..... पर इन्हें बन्द करने में समय लगेगा।

क्यों .......... ? क्या प्रशासन आपके साथ नही है?

जब सत्ता और राजनीति ऐसे लोगों को पूरी तरह संरक्षण दे रही हो तो कुछ कठिनाई तो आएगी ही। उत्तर प्रदेश में प्रशासन नाम की तो कोई चीज़ ही नही है। उत्तर प्रदेश शासन सत्ता का ग़ुलाम है, और सत्ता पूरी तरह मुलायम सिंह यादव के हाथ में है। मुलायम सिंह कोई सत्ता का संचालन नही कर रहे वह एक गिरोह का संचालन कर रहे हैं...अपराधियों के, माफियाओं के, राष्ट्रद्रोही तत्वों के एक गिरोह का संचालन उनके द्वारा हो रहा है...और उस गिरोह के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश को इस्लामिक आतंकवाद का अड्डा बनाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के अन्दर मुलायम सिंह के आने से पहली बार नक्सलवादी गतिविधियां आरंभ हुई हैं। 16 पी.ए.सी के जवान चम्बोली में मारे गए, देवरिया जनपद में 22 गांव नक्सलवादी गतिविधियों की दृष्टि से संवेदनशील समझे गए, कुशीनगर में भी कुछ गांव चिन्हित किए गए हैं मुलायम सिंह इस प्रकार की गतिविधियों के लिए भूमि तैयार कर रहे हैं।

मुलायम सिंह यादव, अमर सिंह, अर्जुन सिंह, वी.पी. सिंह ऐसे हिन्दुओं से आप क्या अपेक्षा रख सकते हैं?

सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं अमर सिंह मुलायम सिंह का एक ही ध्येय है उत्तर प्रदेश की स्थिति बिहार से अधिक नारकीय हो। केन्द्र की यानी यू.पी.ए की सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। मैं समझता हूं कि इतना कमज़ोर गृह मंत्री भारत के अन्दर कभी नही रहा। भारत के प्रधानमंत्री एक कठपुतली के रुप में कार्य कर रहे हैं इस प्रकार का व्यक्ति कभी देखा नही गया। इसी प्रकार से अर्जुन सिंह शुरु से ही जिस प्रकार की गतिविधियों को प्रश्रय दे रहे हैं उसको क़तई उचित नही ठहराया जा सकता। धर्म के नाम पर आरक्षण जो भारत विभाजन का कारण बना था अर्जुन सिंह जैसे लोग उसे प्रश्रय दे रहे हैं, जयचंद और मान सिंह को दोहराया जा रहा है.....इतिहास इनको कभी माफ नही करेगा। ये देश के साथ ग़द्दारी कर रहे हैं और राष्ट्रद्रोही तत्वों को पूरा प्रश्रय दे रहे हैं। किसी भी दिशा में इन दोनों के क़दम भारत के हित में नही कहे जा सकते।

मउ के दंगों में मुख़तार अंसारी की भूमिका से सभी अवगत हैं, आपकी उस समय क्या भूमिका रही थी?

13 तारीख की रात्रि दंगे शुरु हुए और 14 को हमें इस बात की जानकारी मिली। रात्रि को मामला कुछ शान्त हो गया था पर सुबह से पुनः उपद्रव आरंभ हो गए। हम लोगों ने वहां के डी.एम और एस.पी से बात की, मैनें डी.आई.जी, कमिश्नर को फोन किया पूरी स्थिति तो पता नही चल पा रही थी परन्तु जिस प्रकार वहां के पत्रकार, व्यापारी, हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता बता रहे थे बड़ा भयावह लग रहा था। 14, 15, 16 तीनों दिन मुख़्तार अंसारी और समाजवादी पार्टी का शहरीय क्षेत्र अध्यक्ष अफ़जल जमाल के नेतृत्व में हिन्दुओं का नरसंहार, लूटपाट और आगजनी होती रही। उत्तर प्रदेश के डी.जी.पी और मुख्य सचिव से बात करने के बाद लगा ये लोग केवल टालने वाली बात कर रहे हैं तो 16 तारीख को मुझे यहां से जाना पड़ा। हमलोग भारी संख्या में वहां गए हांलाकि गोरखपुर मउ बार्डर पर हमें रोक दिया गया फिर भी हम वहां गए। हमलोगों ने अपना ज़बरदस्त विरोध वहां प्रदर्शित किया हमने कहा जो जिलाधिकारी, पुलिस अधिक्षक दंगों को रोक नही पा रहे हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए, दूसरा यह कि मुख़्तार अंसारी वहां पर कैसे रह रहा है तो मुख़्तार अंसारी को तीन दिन के बाद इन लोगों ने वहां से बाहर किया। कमिश्नर-डी.आई.जी पर कार्यवाही भी किया पर मुख़्तार अंसारी जो भी कर रहा था मुलायम सिंह के संरक्षण में कर रहा था, मुलायम सिंह के संरक्षण में रह कर उसने हिन्दुओं का नरसंहार किया वरना सी.बी.आई की जांच से ये लोग क्यूं भागे?
जांच होती तो मुलायम सिंह चपेट में आते, शिवपाल सिंह चपेट में आते।
ऐसे ही आगरा में इनका मंत्री चौधरी बशीर दंगे कराता है। मेरठ, अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी का विधायक दंगा कराता है। इस प्रकार पूरे प्रदेश में दंगा करवाकर ये लोग चुनाव से पहले मुसलिम भावनाओं को भड़का कर उन्हें एकजुट कर रहे हैं।

कृष्णानंद राय की हत्या का संदेह भी मुख़्तार अंसारी पर है......इस....!!

विधान सभा से मुख्यमंत्री मुख़्तार अंसारी को क्लीन चिट देते हैं और उसी के तीन दिन बाद बी.जे.पी के विधायक कृष्णानंद राय की वह हत्या करता है। मुख़्तार अंसारी ने ही कृष्णानंद राय की हत्या की है।

उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खां ने इस्लाम प्रदेश की मांग करने का साहस दिखाया है...यदी ऐसा हो गया?

देखिए यह उनका साहस नही दुस्साहस है उन्होने मुसलिम राज्य नही राष्ट्र की मांग की है और इसे हिन्दू समाज की विकृत सहिष्णुता कहा जाएगा कि मुस्लिम राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर चलने वाले ऐसे लोगों का सत्ता में तो दूर इस देश की धरती पर ही जगह नही होना चाहिए।

आई.एस.आई से मुलायम सिंह के संबंध हैं इस विषय पर पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

आई.एस.आई से इनके संबंधों पर तो प्रमाण भी है, आई.बी के रिटायर्ड ज्वाइंट डायरेक्टर एम.के. धर की पुस्तक ‘‘दि ओपन सीक्रेट’’ में साफ लिखा हुआ है कि इस देश के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी और इस्लामिक आतंकवाद संगठनों के साथ मिल कर कार्य कर रहा है।
अबु आज़मी कौन है........???
समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश इकाई का अध्यक्ष है।
उसका नाम मुम्बई बम काण्ड में आया इसके पहले वह आई.एस.आई और दाउद इब्राहिम के लिए कार्य करते हुए पकड़ा गया है, उसके खिलाफ कार्यवाही भी हुई है। उस पर टाडा लगा राष्ट्रद्रोह का आरोप लगा है।
अभी सिमी के गिरोह का सरगना ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ जो बहराइच में है और जिस पर राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा चल रहा है मुलायम सिंह अर्थात उत्तर प्रदेश सरकार ने बाका़यदा मुक़दमा वापस लेने के लिए हलफ़नामा दायर किया है। हम इसका विरोध कर रहे हैं। बड़ी सीधी और खुली बात है कि मुलायम सिंह निजी स्वार्थपूर्ति के लिए राष्ट्र की बली दे रहे हैं।

हिन्दू युवा वाहिनी के साथ कौन कौन सी शक्तियां हैं?

देखिए हमारे साथ शुद्ध सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को लेकर के काम करने वाले 25 से 30 लाख स्थानीय कार्यकर्ता हैं और ये सब पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवा हैं। वे केवल समर्पित हो करके काम कर रहे हैं,कि हम भारत के खिलाफ किसी भी षड़यंत्र को सफल नही होने देंगे। वह इस्लामिक आतंकवाद की बात हो या इसाई मिशनरीज़ का हो। सारे नए कार्यकर्ता हैं कोई भी नामी व्यक्ति या पॉलिटीशियन हमने इसमें नही रखा है। यह नए विचारधारा के लोगों की टीम है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हिन्दू युवा वाहिनी एक ताक़त बन कर उभरी है। कुशीनगर के अन्दर भूख से 30 मौतें हुई थी और हिन्दू युवा वाहिनी ने उनको खाद्यान्न पहुंचाने से लेकर उनके लिए संघर्ष करने तक का कार्य आज भी हिन्दू युवा वाहिनी कर रही है। छूआछूत के विरुद्ध आवाज़ उठाना मलिन बस्तियों में जाकर सह-भोज का आयोजन करना, ग़रीब कन्याओं की शादी करवाना, साक्षरता की ओर बढ़ाना, यदि संद्धिग्ध चरित्र के लोग आस-पास घूम रहे हों तो उनकी सूचना प्रशासन को देना, प्रशासन यदि कुछ ना कर सके तो अपने संगठन की सहायता से उचित कार्यवाही करना और ऐसे ही अनेक कार्य हिन्दू युवा वाहिनी कर रही है।

क्या केवल आंदोलन देश की इस भयंकर समस्या का समाधान कर पाएगा?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है कितना भी बड़ा तानाशाह क्यू ंना हो उसे आंदोलन द्वारा झुकाया जा सकता है।

आवश्यक्ता तो आविष्कारों की जननी है,भविष्य में जिस प्रकार की आवश्यक्ता होगी उस प्रकार का आविष्कार स्वयं होगा। यदि सांप डांटने से भाग जाए तो ठीक नही तो उसे मारने के लिए डंडा है जिससे उसके फन को कुचला जा सकता है और मैं समझता हूं कि वो तैयारी हमारे पास है।

मुसलमानों के प्रति अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए...!

हिन्दू कोई मज़हब नही है, यह एक जीवन पद्धति है हिन्दुत्व तो राष्ट्रीयता है। हम ग़लती कर देते है जब हम हिन्दू को एक पूजा पद्धति तक सीमित कर देते हैं। मंदिर के चिकित्सालय में मुसलमानों की बहुत बड़ी संख्या आती है जैसा इलाज हिन्दू का होता है वैसा ही मुसलमानों का होता है, यहां महाराणा प्रताप कॉलेज है, मंदिर के सहयोग से बना गोरखपुर विश्वविद्यालय है तो क्या वहां मुसलमान नही पढ़ रहे हैं।

हमारा मुसलमानों से विरोध नही है, हमारा विरोध उन लोगों से है जो भारत के अन्दर रह करके भारत माता को डायन कहते हैं और भारत के खिलाफ़ षड़यंत्र करके इसकी संस्कृति पर प्रहार करते हैं। भारत को नष्ट करके इस्लामिक साम्राज्य स्थापित करने का सपना देख रहे हैं, उनसे हमारा विरोध है सामान्य मुसलमानों से नही।

आप किसी पार्टी विशेष से प्रभावित नही रहे....आपने भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और उनके विरुद्ध भी?

मैं एक विचारधारा को लेकर कार्य कर रहा हूं और जब भी मुझे लगेगा कि इस विचारधारा के विरोध में, हिन्दुत्व के विरोध में कुछ लोग कार्य करना चाहते हैं, तो वह मेरा कितना ही सगा क्यू ंना हो मैं उसका विरोध करुंगा।

मतलब आप किसी भी पार्टी के कार्यों से संतुष्ट नही हैं?

नही ऐसा नही है, फिर भी देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षाकृत अच्छा था। वह कभी राष्ट्रद्रोही तत्वों को प्रश्रय नही देती थी। राष्ट्रीय स्तर पर चाहे कांग्रेस हो या कम्युनिस्ट हों और क्षेत्रीय स्तर पर जो भी राजनीतिक दल हों, इन लोगों से क़तई उम्मीद नही की जानी चाहिए।

हमारी पत्रिका आपकी बात राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में सक्षम है, इसके माध्यम से आप देश की जनता से क्या अपील करेंगे?

भारत तभी तक है जब तक भारत के अन्दर हिन्दू है। दुर्भाग्य यह है कि भारत की मूल परंपरा को साम्प्रदायिक कहा जा रहा है। जो राष्ट्रीयता का पर्याय है उसे साम्प्रदायिक कहा जा रहा है। जो साम्प्रदायिक है उसे कथित राष्ट्रीयता का लबादा ओढ़ाकर जनता को भ्रम में डाला जा रहा है। जनता को इसे समझना चाहिए। देश सोने का ढोंग कर रहा है और ढोंग का कोई उपाय नही है। देश को स्वतः जागना होगा, कोई भी पार्टी हो उनकी हिम्मत नही कि वह भारत की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ कर सकें,ऐसा इसलिए हो रहा है क्यूंकि हम उन्हें छूट दे रहे हैं इस पर विराम लगाना ही होगा।

आतंकवाद वहीं है जहां हिन्दुओं की संख्या कम है। साम्यवादी विचारधारा के लोगों को हम ही ने स्वतंत्रता दी है,हमें ही उन्हें रोकना होगा। रोक देंगे तो आने वाला भविष्य हम सबका होगा, इस देश का होगा, अन्यथा देश गु़लामी की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

Comments

Popular posts from this blog

बंदूक अपने कंधों पर रख कर चलाना सीखिए...दूसरे के नही!

सही कहा मेरे एक फेसबुकिए मित्र ने कि ज़रूरत से ज़्यादा बेवकूफ और ज़रूरत से ज़्यादा समझदार लोगों में एक ही बुराई होती है, दोंनो ही किसी की नही सुनते। इधर खुद पर भी काफी हंसी आई जब लगातार एक मूर्ख को मैं धारा 370 के एक आलेख पर जवाब देती रही, मुझे एहसास हुआ कि मैं भी वही कर रही हूं जो ये मूर्ख कर रही है। उसने ध्यान से मेरे आलेख को पढ़ा ही नही था, उसे अपना सीमित ज्ञान हम सब तक पहुंचाना था और शायद इतना लिखना उसके बस में नही था तो उसने मुझे ही सीढ़ी बनाने की सोच ली। अचानक से आया किताबी और अधूरा ज्ञान कितना घातक होता है ये देख कर हंसी से ज़्यादा दहशत हुई, ऐसे ही अधूरे ज्ञान के साथ भारत की युवा पीढ़ी का भविष्य कहां जा रहा है??? इनकी भाषा और विरोध ने जाने अंजाने इन्हें देश के विरूद्ध कर दिया है, उम्र और युवावस्था की तेज़ी में भ्रष्ट बुद्धि के कुछ लोग आपको बिना समझे ही शिक्षा देने लगें तो एक बारगी तनिक कष्ट तो होता है फिर इन्हीं लोगों की बुद्धि और समझ पर दया भी आती है। उस बेचारी को जाने देते हैं क्यूंकि वो एक आधी अधूरी जानकारी और अतिरिक्त आत्मविश्वास का शिकार युवा थी, थोड़ा ऊपर उठ कर बात करते हैं क

शायद बलात्कार कुछ कम हो जाएँ...!

अब जब बियर बार खुल ही रहे हैं तो शायद बलात्कार कुछ कम हो जायेंगे, क्यूंकि बलात्कार करने का वक़्त ही  नहीं बचेगा...शाम होते ही शर्मीले नवयुवक बियर बार के अँधेरे में जाकर अपने ह्रदय की नयी उत्तेजना को थोड़ा कम कर लेंगे वहीँ वेह्शी दरिन्दे जिन्हें औरत की लत पड़ चुकी है, वो सस्ते में ही अपना पागलपन शांत कर सकेंगे. इसी बहाने देर रात आने जाने वाली मासूम बहनें शांतिपूर्वक सडकों पर आजा सकेंगी क्यूंकि सारे नरपिशाच तो बियर बारों में व्यस्त होंगे. पढ़के थोड़ा अजीब तो लगेगा पर ये उतना बुरा नहीं है जितना लगता है, कम से कम मासूम  और अनिच्छुक लड़कियों से जबरन सम्भोग करने वाले पिशाच अपनी गर्मी शांत करने के लिए उन औरतों का सहारा लेंगे जिनका घर ही इस वेश्यावृत्ति के काम से चलता है. उन औरतों को दूसरा काम देने और सुधरने की सोच काम नहीं आ सकेगी क्यूंकि उन्हें ये काम रास आने लगा है. मैंने काफी समय पहले २००५ में  जब बियर बार बंद करवा दिए गए थे तब इनमे से कुछ से बात भी की थी, वो अब आदत से मजबूर थीं और काम बंद हो जाने से बेहद परेशान लिहाज़ा उन सबने अपनी छोटी छोटी कोठरियों जैसे रिहाइशी स्थानों पर ही धंधा श

साक्षात्कार श्री अवैद्यनाथ जी सन् 2007 गोरक्षपीठ गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर

प्रारंभिक दिनों में मेरे पत्रकारिता जीवन के प्रथम संपादक जिनका मार्गदर्शन मेरे पत्रकार को उभारने की कंुजी बना स्वर्गीय श्री विजयशंकर बाजपेयी संपादक विचार मीमांसा जो भोपाल से प्रकाशित हुआ करती थी और सन् 1996 में सर्वाधिक चर्चित एवं विवादित पत्रिकाओं में से एक रही। आज उनकी स्मृतियां मेरे हृदय के कोष में एकदम सुरक्षित है, उनके साथ व्यतीत हुए शिक्षापूर्ण क्षणों को भूल जाना मेरे लिए पत्रकारिता से सन्यास लेने के समान है। ऐसे अमूल्य गुणी एवं ज्ञानी व्यक्ति के मार्गदर्शन में तथा विचार मीमांसा के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख के रूप में गोरखपुर मेरा उत्तर प्रदेश का पहला सुपुर्द नियत कार्य था, जहां मुझे गोरक्षनाथपीठ पर पूरा प्रतिवेदन तो लिखना ही था साथ ही महन्त स्वर्गीय श्री अवैद्यनाथ जी और योगी आदित्यनाथ के साक्षात्कार भी करने थे। किन्ही दुखःद कारणों एवं परिस्थितियांवश जिनकी चर्चा कर मैं विचार मीमांसा की अदभुत स्मृतियों का अपमान नही करना चाहती, यह कहानी विचार में तो प्रकाशित न हो सकी किन्तु अन्य कुछ एक पत्रिकाओं में इस विवादग्रस्त विषय को स्थान मिला, और श्री अवैद्यनाथ जी के देहत्यागने के सम