बस अब थोड़ा सावधान रहने की आवश्यक्ता है और कुछ नही, कारण भले ही कुछ लोगों ने अपने बच्चों के नाम रावण रख दिए हों परन्तु विभीषण नाम आज तक किसी मां-बाप ने अपने बच्चे के लिए नही चुना। ऐसे ही राज्यसभा के उन 61 वोटों को याद रखना होगा जो देश के विरूद्ध डाले गए। हमारे ही बीच ऐसे कौन लोग हैं जो देश को सम्पूर्ण रूप में नही देखना चाहते, और ऐसा है भी तो क्यूं? देश के टुकड़े होने से उन्हें क्या और कैसा लाभ मिल रहा है यदि केवल इस पर विचार करिएगा तो भी आपको उन देशद्रोहियों के नाम बगैर खोजे मिल जाएंगे।
लगातार 70 वर्षों तक देश को आधा अधूरा बनाकर रखने के बाद आज देश को पूरा देखकर जिन्हें खुशी नही हो रही वो देश के सगे तो नही हो सकते अलबत्ता उन्हें अपने वोट बैंक में ज़रूर कुछ कमी महसूस हो रही होगी और सत्ता लोलुप जन्तुओं के लिए वोट का नुकसान सभी नुकसानों से बड़ा है, अन्यथा ये तथ्य वास्तव में सोच का विषय है कि केवल जम्मू कश्मीर के नेताओं के बच्चे ही वहां के स्थानीय स्कूलों में नही जाते सभी विदेशी स्कूलों में पढ़कर आए हैं या अभी भी पढ़ रहे हैं। कश्मीर की ग़रीबी वहां के आस पास के इलाकों का पिछड़ापन साफ नज़र आता है, जानबूझ कर स्थानीय लोगों को ग़रीब और लाचार बना कर रखने के पीछे का उद्देश्य क्या आप और हम समझते नही?
महबूबा का ऑडियो संदेश आप लोग सुन ही चुके हैं जिसमें घबराहट साफ झलक रही है, ये घबराहट घाटी के लोगों के हक के लिए नही बल्कि अपने ऐश और अय्याशियों पूर्ण विराम लगने के कारण है। आज भारत के दुश्मन हाफिज़ सईद के खुला घूमने का कारण इसी महबूबा का परिवार है। कश्मीर में आतंकवाद की समस्या का इस हद तक बढ़ जाने का कारण भी ऐसे ही नेता हैं जो बार्डर पर बैठ कर दोनों देशों से पूरी सहूलियतें बटोर रहे हैं और जिनका स्थानीय जनता को कोई फायदा नही। पाकिस्तान को घ्ुसपैठ कराने और लगातार देश विरोधी कार्यों को अंजाम देने के पीछे मुफ्ती परिवार को और अब्दुल्ला परिवार को कितने अनगिनत ईनाम पहुंचाए जाते होंगे इसकी धारणा करना भी नामुमकिन है।
अब ज़रा ये सोचिए कि इन कश्मीर में बसे देश के दुश्मनों को कांग्रेस की सरपरस्ती क्यूं प्राप्त है? आखि़र जब देश को वास्तविक भौगोलिक पूर्णता में लाने का इतना बड़ा काम किया गया तो कांग्रेस क्यूं कर इतना तिलमिला रही है। क्या कांग्रेस के देशद्रोही तार भी कहीं न कहीं इससे बजने लगते हैं? क्या पाकिस्तान से प्राप्त कोई खास सहूलियत इन्हें और इनके परिवारों तक भी पहुंच रही है क्यूंकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति केवल वहां की आम जनता के लिए खराब है बाकी वहां के सैन्य बल एवं राजनीतिक पटल से जुड़े सभी लोगों की ऐश ही ऐश है। टमाटरों की समस्या वहां जन समान्य को हुई होगी बाकी वीआईपी लॉबी को तो अमरीकी टिन के बन्द डब्बों में टमाटर से लेकर हर चीज़ मुहैया है ही, दुनिया की नज़रों में खु़द की बेचारगी दिखाने वाले इमरान खान और ग़रीबी तंगी और दिवालिएपन की कगार पर खड़ा पाकिस्तान का सैन्य बल अचानक धारा 370 के नाम पर चौकस हो गया। जब कमर टूटी हो तो पहाड़ चढ़ने का कार्यक्रम कोई कैसे बना सकता है। असल में कश्मीर की समस्या के पीछे पाकिस्तानी आतंकवाद की रोटी सेंकने की योजना हमेशा से कायम रखी गई और इसी के दम पर कांग्रेस भी राज करती रही। जब जब 370 हटाने की बात हुई कांग्रेस ने पक्ष या विपक्ष दोनों के रूप में ऐसा खेल खेला कि बात जहां की तहां खत्म होकर रह गई, अगर अटल जी के समय में ही इस धारा को हटा दिया जाता तो कांग्रेस फिर कभी सत्ता में नही आती, वास्तव में 370 में सांस कांग्रेस की अटकी थी न कि कश्मीर की।
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